ब्रह्ममुहूर्त (सूर्योदय का 1-1/2 घंटे पहले का समय ),सबसे पहले शौच विधि /यानि मल मूत्र का त्याग ,मल मूत्र का त्याग बताया गया है अगर आप स्वस्थ है (अग्नि /पाचन )ठीक है यानी रात को जो आपने खाया है उसका पाचन अच्छी तरह हो सुबह उठते ही आपको मल वेग जरूर आएगा और वह व्यक्ति स्वस्थ के लक्षण है ,
दन्त धावन दांत साफ करने के लिए आयुर्वेद में दातून का प्रयोग बताया है (इसमें भी अर्क ,बरगद ,बबूल ,
अर्जुन ,नीम )की टहनी का प्रयोग बताया गया। जीभ को साफ करने मुख शुद्धि करना इसके बाद आखो में अंजन(सुरमा / काजल ) का प्रयोग बताया गया है ,जो आँखों को शीतलता मिलती है ,
नश्य कर्म नाक में तेल या घी दो -दो बून्द डालने के लिए कहा गया है इसके बाद गण्डूष /कवल (oil pulling )
करना चाहिए,आयुर्वेद में दिनचर्या का बहुत ही विस्तृत वर्णन किया गया है oil pulling के बाद ताम्बुल सेवन यानि पान के पत्ते से मुँह की शुद्धि बतायी गयी है क्योंकि इसके प्रयोग से मुँह की सफाई हो जाती है खाना खाने की इच्छा भी होती है ,
अभ्यंग(शरीर पर तेल से मालिश )जो दिनचर्या का विशेष बिंदु है और सबसे ज्यादा आवशयक है ,हमें हर मालिश करनी चाहिए ,इसके बहुत फायदे है ,जैसे जरा (बुढ़ापा ) देर से आएगा ,शरीर की थकान दूर होती है आँखों के लिए हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद है,
उबटनअभ्यंग के बाद उबटन लगाने की विधि बताई है ,इससे शरीर मजबूती शरीर की सुंदरता इसके अलावा शरीर की अतिरिक्त मेद धातु (मोटापा )को कम करने मदद मिलती हैजिसके लिए जौ का आटा ,चने काआटाआदि का इस्तेमाल कर किया जाता है।
स्नान/bath स्नान उत्साह को बढ़ाने वाला ,जठराग्नि (पाचन को ) बढ़ने वाला ,थकान को दूर करने वाला होता है ,स्नानं /नहाने के लिए गर्दन से ऊपर ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्म पानी बालो व आँखों की शक्ति को काम कर देता है इसके लिए हल्का गुनगुना पानी होना बहुत आवश्यक है ,और गर्दन से नीचे वाले भाग के भी पानी का टेंप्रेचर बॉडी से अनुसार ही रहना चाहिए ,
भोजन विधि स्नान के बाद खाना लेना चाहिए और कब खा सकते है ? जब सुबह पेट साफ(मल त्याग)के बाद पहले खाया हुआ भोजन पच जाना चाहिए जब अच्छी भूक लगे तब भोजन करना चाहिए ,खाना कैसा हो आयुर्वेद
के अनुसार खाने में (06 ) स्वाद हो मीठा ,खट्टा ,तीखा ,कड़वा ,कसेला ये सभी स्वाद होने चाहिए ,खाना सात्विक हो
या जो आपके घर में पहले से ही बनता चला आता है ,आयुर्वेद में बताया गया है की (पाप कर्मो को त्याग देना चाहिए ,सभी प्राणियों समान व्यवहार रखना चाहिए ,जो व्यक्ति निर्धन हो,दुखी हो सभी के प्रति समान दृष्टिकोण होना, चाहिए ,स्वभाव सभी के साथ अच्छा होना चाहिए ,चाहे वह आपका शत्रु हो या मित्र सदैव हितकर वाली बात बोलनी चाहिए ,