यह हिमालय क्षेत्र में केवल 3,000 मी से ऊपर के हिस्सो में पाई जाती है। यह तब बनती है जब केटर पिलर एक खास तरह की घास खाता है और मरने के बाद उसके भीतर यह जड़ी बूटी उगती है चूँकि यह आधा कीड़ा
और जड़ी होती है ,यही वजह है कि इसे कीड़ा जड़ी कहते है। यह कीड़ा भूरे रंग का होता है जिसकी लम्बाई करीब इंच होती है। इसका जीवन काल करीब छह महीने का होता है
कॉर्डिसेपिन, पॉलीसेकेराइड, कॉर्डिसेपिन एसिड, डी-मैनिटोल, विटामिन ए, बी1, बी2, बी6, बी12, जिंक, एसओडी, न्यूक्लियोसाइड प्रोटीन, फैटी एसिड, समेत कई पोषक तत्व और मिनरल्स पाए जाते हैं। कीड़ा जड़ी महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीइंफ्लमेटरी एंजाइम्स और विटामिन के गुणों से भरपूर औषधि है। जिसे बहुत सी गंभीर बीमारियों में इलाज के लिए प्रयोग किया जा सकता है। आइए जानते हैं कीड़ा जड़ी के स्वास्थ्य लाभ।
फायदे /उपयोग
यह कीड़ा जड़ी औषधीय गुणों से भरपूर प्रोटीन ,कॉपर जैसे खनिज से भरपूर है ,यह एंटी कैंसर एजेंट के रूप
में काम करती है कीड़ा जड़ी पुरुषो में नपुंसकता जैसी समस्या में इस्तेमाल करने से इसके बहुत लाभ मिलते है
यह औषधि काम शक्ति वर्धक ,वीर्य वर्धक ,स्टेमिना को बढ़ने वाली औषधि है ,यह इम्यून को स्ट्रांग बनता है इसके अलावा एक्सरसाइज परफॉर्मेंस को बढ़ाने में बहुत लाभ मिलता है ,यह खास कर lungs के infaction ,स्किन कैंसर में लिए बेहद फायदेमंद है ,इसको लीवर ,डायबिटीज ,किडनी से जुडी परेशानियो में यहा तक की वायरल और बैक्टीरियल इंफैक्शन में भी बहुत माना जाता है।