व्यायाम
ऐसी शारीरिक क्रिया जो शरीर में स्थिरता (स्टेबिलिटी )को उत्पन करे और जो मन को स्थिरता प्रदान करे शरीर का बल बढ़ाने वाली शरीर को शक्ति दे ,ऐसी जो क्रियाएँ होती है उसे व्यायाम कहते है। व्यायाम को उचित मात्रा में करना चाहिए( न ज्यादा अधिक,कम करना )
व्यायाम करने से फायदे
व्यायाम करने से शरीर में लघुता (हल्कापन),कार्य करने में सामर्थ्य ,शरीर की दृढ़ता/ मजबूत बनाने में ,शरीर में होने वाले दोषो (वात,पित्त,कफ) का नाश करता है शरीर के कष्ट सहन करने में शक्ति मिलती है ,जठराग्नि (पचाने की अग्नि ) को बढ़ाता है, व्यायाम से मोटापा (ओबेसिटी )को कम करता है,व्यायाम से दृढ़ शरीर को कभी रोग जल्दी नहीं सताता है, जो लोग मसल्स को बढ़ाना चाहते है व्यायाम उनके लिए बहुत अच्छा माना है आयुर्वेद में व्यायाम करने के लिए सबसे अच्छी ऋतु हेमंत /शिशिर (यानि ठंडी ) के मौसम में बहुत अच्छा माना जाता है उस समय पे शारीरिक बल को बहुत अच्छा रहता है व्यायाम ज्यादा कर है,
आयुर्वेद के अनुसार व्यायाम कब करे ?
आयुर्वेद के ग्रंथो में ब्रम्ह महूर्त में उठने के बाद मल विसर्जन ,दन्त धावन (अपनी नित्य )क्रियाये करने के बाद अभयंग (तेल मालिश )सारे शरीर पर अभ्यंग करने के बाद व्यायाम करना चाहिए ,
व्यायाम का निषेध
जिन लोगो की फिजिकल एक्टिविटी बहुत ज्यादा रहती है व्यायाम नहीं करना चाहिए ,छोटे बच्चे ,वृद्ध व्यक्ति जिनको अजीर्ण (जिनको खाना न पचा हो )जिनको मानसिक / बहुत ज्यादा चिंता है ,या जिनको डर लगता हो
उनको व्यायाम नहीं करना चाहिए ,दुर्बल व्यक्ति आदि के लिए निषेध है ,
अतिव्यायम से होने वाले नुकसान
जो लोग अधिक व्यायाम करते है उनको शारीरिक थकावट ,मानसिक थकावट बुखार ,कास स्वांस ,भ्र्म ,प्यास, आदि नुकसान देखने को मिलता है,