अर्जुन /Terminalia arjuna
अर्जुन एक आयुर्वेदिक गुणकारी वनस्पति औषधि है इस वृक्ष की छाल बहुत ही effactive आयुर्वेदिक मेडिसिन है ,यह बहुत सी बीमारियों में लाभदायक सिद्ध होता है ,लेकिन इसको लेने का सही तरीका /विधि बहुत जरुरी है आयुर्वेद के ग्रंथो में विस्तार से जानकारी मिलती है। इसको ककुंभ ,धवल ,वीर वृक्ष आदि नामो से जाना जाता है इसका latine name -terminalia arjuna इसकी छाल से चूर्ण /भरड़ (जिसे मोटा पाउडर ) कहा जाता है ,
chemical composition
इसका स्वाद -कषाय /कसेला
वीर्य -शीत /ठंडा
मुख्य गुण -लघु /हल्का ,रुखा
प्रभाव -हृद (ह्रदय का हितकर )
दोषघ्नता -कफ शामक ,पित्तशामक/ कम करता है
. अर्जुन छाल का हृदय की बीमारी में प्रयोग
विशेष रूप से अर्जुन हृद माना गया है यह हार्ट को nurish करने का काम करता है ,heart की कार्डियक मसल्स को बल देने कार्य करने में मदद करता है, heart की pumping एक्शन को improve करने में help करता है।
आज की जीवन शैली काफी सारी फ़ूड से सम्बंधित आदते अलग है जिस कारण काफी सारी बीमारिया होती है जैसे -मोटापा /obasity या कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना ,blood प्रेसर /उच्च रक्चाप में आदि बढ़ती जा रही है, इन सभी अवस्थाओं में अर्जुन बहुत बेनिफिट देता है ,इसके अलावा कफ के कारण होने वाली ह्रदय विकारो में अर्जुन चूर्ण बहुत गुणकारी है ,यह खली पेट या फिर काढ़ा भी बना सकते है ,काढ़ा (50 -100 ml )इसको भी फास्टिंग कंडीशन में लेना चाहिए। यहा तक अर्जुनारिष्ट भी ले सकते है ये संधान विधि से बनने वाली बहुत अच्छी औषधि है अर्जुनारिष्ट (15 -20 ml )दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लिया जाता है। शरीर में पित्त की वृद्धि होने पर अर्जुन की छाल से बनाया हुआ औषधि दूध (अर्जुन क्षीरपाक )लेते है
. त्वचा विकारो में अर्जुन छाल का रक्त स्तम्भन और रक्त शुद्धिकरण का कार्य करता है
. Diabetes को आयुर्वेद में प्रमेह कहते है इसमें भी यह बहुत उत्तम औषधि मानी जाती है, कफ को बढ़ाने वाले सभी कारण प्रमेह का कारण बताये गए है। साथ ही मेद धातु को कम करती है इस तरह इसे डायबिटीज में भी लिया जाता है
. पुरुषो में यदि urine के द्वारा के द्वारा शुक्रधातु शरीर से बाहर निकलता है तो उसे रोकने के लिए भी अर्जुन छाल बहुत उत्तम मानी जाती है अर्जुन मुख्य रूप से रक्त स्तम्भन का कार्य करने के कारण महिलाओ में पीरियड /मासिक स्राव बहुत अधिक होने वाली समस्याओ में भी लाभदायक है ,पीरियड के अलावा भी ब्लीडिंग(disfungtional uterine )कहा जाता है इसको रोकने के लिए भी उत्तम औषधि है ,इसके अतिरिक्त अगर महिलाओ में स्वेत प्रदर (सफ़ेद पानी )की समस्या है तो उसमे भी काम करता है ,गर्भाशय की शिथिलता bulky uterus है उसमे खिचाव लाने में भी मदद करता है साथ ही अगर गर्भाशय के अंदर घाव है तो उस का हीलिंग होने के लिए अर्जुन बेहतरीन औषधि है।
. Respiratory System के लिए भी अर्जुन का इस्तेमाल कर सकते है specialy जिन लोगो में बलगम के साथ खून आने की समस्या होती है ,तो इसको रोकने में भी बहुत लाभ मिलता है।
. पाचन तंत्र में अर्जुन की छाल का बहुत फ़ायदा मिलता है अर्जुन की छाल स्वाद में कसेला होने कारण पुरीष ( मल ) स्तम्भन (रोकना ),रक्त स्तम्भन (खून को रोकना )जिन लोगो को लूज़ मोशन जिसे आयुर्वेद में अतिसार (डायरिया ) प्रवाहिका (डिसेंट्री )या मल के साथ खून आना ,बवासीर (पाइल्स)में रक्त से युक्त मल होता हो उनके लिए अर्जुन की छाल बहुत उत्तम मानी जाती है। शरीर के किसी भी मार्ग से खून का आना(नाक ,मुँह )आदि में अर्जुन की छाल बहुत गुणकारी मानी जाती है।
. weight lossअर्जुन की छाल मेद धातु को कम करने के लिए बहुत effactive है ,यह शरीर में बढ़े हुए कफ को कम करती है ,जिस लोगो को specialy fat को कम करना है उनके लिए बहुत अछि औषधि है ,इसको लेने के लिएइसका चूर्ण 3 -5 ग्राम की मात्रा में लगभग (आधा चम्मच )पानी के साथ ले सकते है, या फिर शहद के साथ ले सकते है क्योंकि शहद भी चर्बी को काम करने वाला होता है अर्जुन की छाल का काढ़ा बना कर भी ले सकते है इसके अलावा अर्जुन की भरड़( एक मोटा चूर्ण )इसको लगभग आधा चम्मच से एक चम्मच दो कप पानी के साथ उबाल कर जब आधा कप शेष रहने पर इसको छान के लेना है इसको फास्टिंग condition में सुबह खाली पेट लेना है इसको लेने के बाद जब तक अच्छी भूख न लगे तब तक कुछ नही खाना है यह एक effactive medicin है।