अस्थमा (Asthma)-
आयुर्वेद में अस्थमा को तमक श्वास कहा जाता है ,और इसी को brochial asthma भी कहते है ,अस्थमा की pathophsiology देखी जाय तो ,श्वसन नलिकाओं सूजन (swelling )आ जाती है ,तो श्वसन नलिकाएं सिकुड़ जाती है ,और उसमे से म्यूकस का production होता है और जिस कारण बहुत सारा कफ निकलता है।
जिन लोगो को अस्थमा में पंप दिया जाता है ,वह पंप bronchodilator होता है ,यानि की वह तुरंत श्वसन नलिकाओं को चौड़ा करता है और तुरंत आराम मिलता है ,परन्तु यह एक parmanent (स्थायी )इलाज तो नहीं है,
लेकिन आयुर्वेद की चिकित्सा से इसे सम्भव किया जा सकता है ,यदि आप अस्थमा का स्थाई इलाज चाहते है तो आयुर्वेद को अपनाना चाहिए।
.अस्थमा के लक्षण :-
. घबराहट
. सीने में जकडाहट
. खांसी आना
. थोड़ी दुरी तय करने पर सांस फूलना
. पसीना आना
. कैसे अस्थमा को जड़ से मिटाये ?
अगर आपका एलोपैथ में (pump,nebulizer,inheler या तो oral medicin )शुरू है तो उसके साथ ही आप आयुर्वेदिक औषधि शुरू कर सकते है ,
generally आयुर्वेदिक औषधि (2 )प्रकार की है -
१.काष्ठौषधि ( जिसमे सारी वनस्पतियाँ होती है )
२.रस औषधियाँ(जिसमे सोने चांदी की भस्म या metalic porsionवाली चीजे होती है)
यह औषधि इतने अद्भुत result देती है ,वह lungs (फेफड़े )की capicity को बढ़ाती है और श्वसन नलिकाओं में जो सूजन है और कफ का production (निर्माण )को कम करती है।
आयुर्वेद में यह औषधिया सुरु करने के साथ tapring dose (चिकित्सा में किसी दवा की खुराक को धीरे -धीरे
कम करने या बंद करने की विधि है) एलोपैथी / अंग्रेजी दवा कम करवाते है और धीरे -धीरे compleatly आयुर्वेद पर swich over या निर्भर करते है
4 -6 महीने यदि आप आयुर्वेद को दे तो अस्थमा का स्थाई इलाज हो जाता है ,और अस्थमा आप के शरीर से पूरी तरह निकल जाता है।
. कुछ घरेलू उपचार :-
१. सितोपलादि चूर्ण -100 ग्राम
२. यष्टिमधु चूर्ण -100 ग्राम
३. वासा चूर्ण -50 ग्राम
४. त्रिकटु चूर्ण -30 ग्राम
सुबह ,दोपहर ,श्याम (तीन बार )1 चम्मच (5 ग्राम शहद )के साथ चाटना है।
.C.O.P.D(chronic obsturctive pulmonary disease)सी ओ पी डी क्या होता है ?
सामान्य तौर पर हमारे फेफड़े/Lungs स्पंज की तरह होते है ,जब हम साँस लेते है तो ऑक्सीजन हमारे ब्लड में जाती है और कार्बन डाइऑक्साइट हमारे ब्लड से निकल जाती है। c.o.p.d नामक बीमारी में हमें स्पंजनुमा फेफड़े फूल जाते है जिसकी वजह से कार्बन डाईआक्साइट गैस बाहर नहीं निकलती,
.C.O.P.D फेफड़ो को कैसे प्रभावित करती है ?
सामान्यत हमारे फेफड़े छोटे -छोटे गुब्बारे नुमा Alvuli से बने होते है इन alvuli से ऑक्सीजन हमारे
ब्लड में मिल जाती है और कार्बन डाइआक्साइट ब्लड से निकलकर alvuli के द्वारा फेफड़ो से बाहर निकल
जाती है C.O.P.D में ये ALVULI क्षतिग्रस्त हो जाती है , इसमें alvuli की elasticity (फूलने व सिकुड़ने की क्षमता )कम हो जाती है ,इस वजह से शरीर में co2 की मात्रा बढ़ जाती है
.C.O.P.D ,मुख्यत:( 2 )प्रकार का होता है -
1 Emphysema
2 chronic bronchitis
1. Emphysema क्या होता है?
alvuly जो की फेफड़ो की सबसे छोटी इकाई होती है ,उनको प्रभावित करती है और वह बड़े हो जाते है और उनकी इलास्टिसिटी कम हो जाती है ,जिसकी वजह से गैस का एक्सचेंज नहीं हो पाता है
2. chronic bronchitis
अगर आपको ३ महीने से ज्यादा और लगातार २ साल तक खासी व् बलगम के साथ होती है तो यह क्रोनिक ब्रॉंकइटिस के लक्षण होते है ,इसमें हमारी साँस नलिकाओं में सूजन व इंफ्लामेशन होता है और इस कारण साँस नालियों में ऐंठन उत्पन होती है तथा जरुरत से ज्यादा बलगम या म्यूकस का secreation होता है और वही जम जाता है जिससे मरीज को साँस लेने में तकलीफ और चलते समय जल्दी से साँस फूल जाती है।
.C.O.P.D क्यों होता है, कारण ?
इसका मुख्य कारण है धूम्रपान /smoking ,जब हम smoking करते है तो धुऐ में कई तरह के camicals जो हमारे फेफड़ो को नुकसान पहुँचता है और वह सूजन आ जाती है lungs की wall डैमेज हो जाती है तथा गुब्बारे की तरह फूल जाती है इसी को c.o.p.d कहते है इसके आलावा वायु प्रदूषण ,धूल आजकल के वायरल इंफेक्शन ,बचपन में होने वाला निमोनिया आदि कारण है
.C.O.P.C से बचाव
सबसे पहले धूम्रपान का निषेध ,और वायरल इंफेक्शन से बचे और वैक्सीन समय पर लगवाना चाहिए।