देर रात तक जागने से होता है मधुमेह का ज्यादा जोखिम :👇
- शरीर की आंतरिक घड़ी में पढ़ने वाला विपरीत प्रभाव बिमारियों की वजह
- 63 हजार 676 महिला नर्सों के आंकड़ों के जरिये किया अध्ययन
- 7.2 करोड़ लोग भारत में मधुमेह से पीड़ित हैं
वाशिंगटन एजेन्सी : अगर आप देर रात तक जागते रहते हो तो अलर्ट रहने की जरुरत है। ऐसा करने से आप मधुमेह(diabetes) के शिकार सकते हैं। अमेरिका में हुई एक study में बात सामने आयी है। अध्ययन(स्टडी) में पाया गया कि यह आदत(देर तक जागने की आदत) उसकी सर्केडियन क्लॉक या आंतरिक घडी को प्रभावित करती है। आंतरिक घडी में नींद लेने और जागने के विपरीत समय का यह अंतर कई बिमारियों के लिए जिम्मेदार है। इस अध्ययन को एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित(publish)किया गया है। ब्रिंघम एन्ड वूमिन्स अस्पताल में हुए इस अध्ययन(study) में शोधकर्ताओं(researchers) ने 2009 से 2017 के बीच नर्सेस हेल्थ स्टडी में शामिल 63,676 महिला नर्सों के आंकड़ों(statistics) का अध्ययन(study) किया। इससे पता चला कि रात को काम करने वाली प्रतिभागियों में अस्वास्थ्कर(unhealthy) जीवनशैली बर्तावों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया तो डायबेटीस का जोखिम कम हो गया,लेकिन वह ख़त्म नहीं हुआ।
अभी तक के अध्ययनों में ये बात सामने आई
हुयांग ने बताया कि जिन्हें रात को जाग कर काम करना अच्छा लगता है, उन्हें ईवनिंग क्रोनोटाइप कहा जा सकता है, वे मधुमेह के ज्यादा जोखिम को जिंदगी से जोड़ रहें हैं।उन्होंने बताया कि इससे पहले के अध्ययनों ने पाया है कि अनियमित नींद वाले लोगों में हृदय सम्बन्धी रोगों का ज्यादा जोखिम होता है, लेकिन इस अध्ययन में क्रोनोटाइप,जीवन शैली कारकों और मधुमेह जोखिम के बीच सम्बन्ध बताया गया है।
भारत में सबसे ज्यादा मरीज : 👇
WHO के मुताबिक भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहाँ 7.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित है। ऐसा अनुमान है कि विश्व में मधुमेह पीड़ित होने वाला हर पांचवां व्यक्ति भारतीय है। मधुमेह के 90. प्रतिशत रोगी टाइप 2 डायबेटीस से पीड़ित हैं।
कठिन है आदत बदलना :👇
ब्रिघम के चेनिंग डिविज़न ऑफ नेटवर्क मेडिसन में असोसिएट एपेडेमियोलॉजिस्ट और अध्ययन(study) के सहलेखक(subwriter) तियानवी हुआंग बताते हैं कि क्रोनोटाइप या सर्केडियन प्राथमिकता इंसान की चुनी हुई सोने और जागने के समय को दर्शाती है। यह कुछ हद तक जेनेटिक(genetic) तौर पर निर्धारित होती है, इसलिए इसे बदलना कठिन हो सकता है।