इस तरह गुदा (anus)से पक्वाशय में,मूत्रमार्ग से मूत्राशय (urinary bladder) में अपत्यमार्ग से (uterus) में पहुंचाया जाता है।
किन दोषों की शुद्धि
बस्ति चिकित्सा के द्वारा केवल मल को बाहर ही नहीं निकला जाता है ,अपितु इसके द्वारा रोगी को पोषण (Nutrition) भी कराया जाता है।
बस्ति चिकित्सा के द्वारा -दोषों का शोधन ,दोषों को दूर किया जाता है, यह नेत्र ज्योति बढ़ाता है ,आरोग्य प्रदान करता है,बलवर्धक है।
चरक के अनुसार बस्ति वातदोष की प्रधान चिकित्सा है। बस्ती को सभी चिकित्सा की आधी चिकित्सा के समान माना गया है।
बस्ती कितने तरीके से होती है
प्रथम अनुवासन बस्ति -जो व्यक्ति रुक्ष शरीर वाला (dryness of the tissues and organs)तीक्ष्णअग्नि वाला (hyper activity of digestive function) और केवल वात रोगों nervous diseases)से पीड़ित हो वह अनुवासन बस्ति (oil enemata) के योग्य होता है। urinary bladder और inguinal rigion को सही करता है।
दूसरी बस्ति -सर में होने वाले विकृत वात को शांत करता है
तीसरी बस्ति -शरीर में बल और वर्ण को उत्पन्न करता है।
चौथी और पांचवी बस्ति - रास और रक्त धातुओं को स्निग्ध करता है।
छटवी बस्ति -mussle (मांस) को स्निग्ध करता है।
सातवीं बस्ति -फैट धातु को स्निग्ध करता है।
आठवीं और नौवीं बस्ति -अस्थि और मज्जा (बोन मेरो ) धातु को क्रम में स्निग्ध करता है।
बस्ति कितनी तरह से होती है ?
1 -निरुह बस्ति
2 - अनुवासन बस्ती
3-स्नेह बस्ति