थकान मिटाने ,फैटी लिवर ,रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है कीड़ा जड़ी ,1 लाख रूपए किलो है अभी रेट ,डीएमआर पैदावार बढ़ाने पर कर रहा काम
कोर्डिसेप्स मिलिटेरिस प्राकृतिक तौर पर उगने वाली जंगली मशरूम है। मशरूम को कीड़ाजड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसके औषधीय गुणों के कारण यह बहुत लाभकारी मानी जाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये मशरूम मनुष्य के शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत को बढाती है। थकान मिटाने में भी यह कारगर है। यह तत्काल रूप से ताकत देते हैं। यही कारण है कि चीन के खिलाड़ी इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं। चीन और तिब्बत में इसे यारशागुंबा कहा जाता है। फेफड़ो और किडनी के इलाज में भी इसे जीवनरक्षक माना जाता है। कैंसर की रोकथाम व यौन क्षमता बढ़ाने में भी ये लाभकारी है।
कोर्डिसेप्स मिलेटेरिस वानस्पतिक नाम
मेडिसनल वैल्यू वाली कोर्डिसेप्स मिलिटेरिस (मशरूम) के लाभ आम लोगों तक पहुँचाने के लिए डाइरेक्टोरेट ऑफ मशरूम रिसर्च (डीएमआर ) सोलन तकनीक विकसित करने का काम कर रहा है। अभी यह मशरूम काफी काम मात्रा में उगाई जाती है और महंगी होने के कारण यह आम लोगों तक नहीं पहुँच पाती है। इस समय इसका रेट करीब प्रतिकिलो ग्राम तक है। डीएमआर के वैज्ञानिक कोर्डिसेपिन वैल्यू बढ़ाने पर काम रहें हैं साथ ही लोगों को इसकी उगाने की विधि ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि इसकी पैदावार बढ़े व आम लोग भी इसे खरीद सकें। डीएमआर के वैज्ञानिको ने लम्बे समय के शोध के बाद कोर्डिसेप्स मिलिटेरिस उगाने की तकनीक विकसित करने में करीब चार साल पहले कामयाबी पाई थी। अब किसान इसे अपने फार्म में उगा रहे हैं। डीएमआर में अभी तक देश के करीब 120 किसानों ने कोर्डिसेप्स मिलेटेरिस ुग्गने की ट्रेनिंग ली है।
पैदावार और वैल्यू बढ़ाने पर हो रहा काम :डायरेक्टर
कीड़ाजड़ी चीन में बहुत मशहूर है। भारत में भी इसकी खेती बढ़ रही है। गोवा का एक युवक इस मशरूम की बिक्री भी कर रहा है। पानीपत में भी खेती हो रही है। हिमाचल देहरा लाहौल - स्पीति और शिमला में भी इसकी खेती की शुरुआत हुई है। डीएमआर इस औषधीय गुणों वाली मशरूम की पैदावार व वैल्यू बढ़ाने पर काम कर रहा है। -डॉ वीपी शर्मा , डाइरेक्टर डीएमआर
तीन लाख टन मशरूम का उत्पादन प्रतिवर्ष
1961 से अब तक देश में मशरूम उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। आज देश में सभी प्रकार का मशरूम करीब तीन लाख टन प्रतिवर्ष पैदा होता है। आज बिहार में सबसे ज्यादा मशरूम रहा है। हिमाचल में करीब 5 हजार टन मशरूम पैदा हो रहा है।अभी कीड़ाजड़ी मशरूम की पैदावार नाममात्र की है। महिलाओं को खासतौर पर सभी तरह की मशरूम लाभकारी है। महिलाओं में कैल्सियम की कमी हो जाती है और मशरूम विटामिन डी का बड़ा कारक है। इसलिए आज मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है।