भृंगराज/ Eclipta alba
इसे केशराज ,केशरंजन ,मार्कव हिंदी में इसे भांगरा कहा जाता है ,यह बालो के लिए उत्तम औषधि है ज्यादातर तेल बनाने में भृंगराज का प्रयोग किया जाता है आयुर्वेद के ग्रंथो में भृंगराज के गुण लघु (हल्का)रुक्ष (रुखा),बताया गया है ,रस स्वाद में हल्का और तीखा बताया गया है यह गर्म स्वभाव की औषधि है ,और यह शरीर के वात कफ दोष का शमन करता है भारत में यह औषधि सभी जगह मिलती है खाश कर पानी वाली जगह मिलती है।
भृंगराज के कार्य
इसे केशवर्धन (बालो की ग्रोथ )को बढ़ाने में मदद करता है आयुर्वेद में शिरो अभ्यंग यानि बालो की जड़ो में हर दिन तेल लगाना बहुत जरुरी बताया गया है क्यूंकि इससे तनाव चिंता दूर होती है साथ ही बालो के लिए उतम औषधि मानी जाती है। इसके अलावा यह सवर्णिकरण(त्वचा )को निखारने वाला मान जाता है ,व्रणरोपण(घाव को भरने )में मदद करता है,
भृंगराज आँखों के लिए भी बहुत अच्छी औषधि है जिनको रात को दिखाई नहीं देता है (NIGHT BLINDNESS)
वे लोग भी भृंगराज का सेवन जरूर करे 1 -3 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को घी के साथ लेना चाहिए ,
भृंगराज कुष्ठग्न (त्वचा सम्बन्धी विकारो में )भी बहुत लाभदायक होता है ज्यादातर त्वचा विकार वात ओर कफ के बढ़ने के कारण होता है पाण्डु रोग (Anemia ) खून की कमी और शरीर में सूजन हो तो इसके लिए भी भृंगराज बहुत अच्छी औषधि है इसे रक्त शुद्धिकर भी खा जाता है यह खून को साफ करने की बहुत उत्तम दवा है इस प्रकार की समश्याओ में भृंगराज का चूर्ण बहुत फायदेमंद है ,अगर किसी को hepatomegaly (inlagment of liver) या splenomegaly यानि स्प्लीन साइज बढ़ना तो इसके लिए भी बहुत अच्छी औषधि है,