नेत्र तर्पण
नेत्र तर्पण क्या है ?
नेत्र = (आँखे ), तर्पण ( पोषणकरना ) /तृप्त करना (Nurishment)
इसको वस्ति तर्पण भी कहते है ,इस विधि का उल्लेख आयुर्वेद के सभी ग्रंथो में विस्तार से दिया गया है '
यह एक आयुर्वेदिक थेरेपी है जिसमे नेत्र (eye)को औषधीय घी से तृप्त किया जाता है ,इस औषधीय घी में एंटी - ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है जो विभिन्न नेत्र रोगो में लाभदायक सिद्ध होता है।
इस विधि को रोगी व्यक्ति के अतिरिक्त स्वस्थ व्यक्ति भी अपनी आँखों की रोशनी लम्बे समय तक बनाये रखने के लिए कर सकता है,और आँखों की समस्याओ से निजात पा सकता है,
तर्पण के योग्य नेत्र :-
जो नेत्र (eye)सूखे (emaciated) हो , टेड़े (dissimiler) हो , गंदे (dirty) हो , पलके खोलने और बंद करने में कष्ट होना (difficulty in opening an closing of lids), blindness, conjuctivitis swelling of eye आदि नेत्र
रोगो से युक्त हो उन नेत्र रोगियों में नेत्र तर्पण चिकित्सा करनी चाहिए
क्यों आवश्यक है तर्पण चिकित्सा :-
पांच ज्ञानेन्द्रिया / sense organs (आंख ,नाक ,कान जीभ ,त्वचा ) सभी इन्द्रियों
में नयन या आंख ,दृष्टि भी एक महत्वपूर्ण माना जाता है,क्यूंकि हमारी अधिकांश गतिविधिया
दृष्टि पर निर्भर करती है जिसकेलिए नेत्र का स्वस्थ होना अति आवश्यक है ,
जो लोग अपनी दिनचर्या में कप्यूटर ,मोबाइल फोन और शिलाई मशीन, ओर भी क्राफ्टिंग का
कार्य ज्यादातर करते और लम्बे समय तक करना पड़ता है जिस कारण आँखों की रौशनी ,
आँखों में दर्द होना ,जलन ,भारीपन ,खुजली आदि समस्याओ से परेशान होते है ,
इन सभी परेशानियों से निजात पाने लिए नेत्र तर्पण आयुर्वेदिक उपचार एक कुशल चिकित्सा है।
लाभ :-
तर्पण होने पर नींद अच्छी आती है ,नेत्र साफ हो जाते है ,नेत्र को खोलने और बंद करने
में तथा इधर -उधर घूमाने में हल्कापन (lightness) ,
. मोतियाबिंद (glucoma)
.सूखी आंखे
. दृष्टिगत (vision) आदि रोगो में तर्पण क्रिया करने से नेत्र की शक्ति बढ़ती है।