जलौका विधि (leech therapy) :-
दोस्तों आज हम लीच थेरेपी के बारे में जानेंगे लेकिन उससे पहले आपको समझना होगा कि आखिर पंचकर्म में यह किस विधि के अनुसार किया जाता है। यह पंचकर्मों में पांचवां कर्म रक्तमोक्षण (blood letting) की एक विधि है। पंचकर्म की पांचवीं विधि रक्तमोक्षण(blood letting) है जिसकी एक उपविधि जलौका विधि (leech therapy) है। लीच को शरीर में एक निश्चित समय के लिए छोड़ा जाता है जो गन्दा blood |(खून)चूस लेती है।
अगर हम रक्तमोक्षण(blood letting) की बात करें तो रक्तमोक्षण तीन तरह से किया जा सकता है :-
1- श्रृंगी या सींग द्वारा - यह वात रोग के लिए किया जाता है।
2-अलावु (cupping therapy) - यह कफ रोग के लिए किया जाता है।
3-जलौका (leech therapy ) - यह पित्त रोग जाता है।
तो आज हम बात करेंगे रक्तमोक्षण की तीसरी उपविधि की जो कि leech therapy है। आयुर्वेद के अनुसार leech (लीच) 12 तरह की होती हैं जिनमें से 6- सविष , 6- निर्विष होती हैं। लीच थेरेपी के बहुत फाइये होते हैं। लीच थेरेपी को क्यों लेनी चाहिए इसके बारे में हम नीचे पड़ेंगे।
लीच थेरेपी के फायदे या लाभ :-
- नए बाल उगाने के लिए: क्योंकि आजकल बाल झड़ने और दुबारा नहीं आने की समस्या ज्यादा लोगों को हो रही है ,जो पुरूषों में ज्यादा हो रहा है इसके अनेक कारण हो सकते हैं। लीच अपने मुँह से खून को चूसते समय अपनी लार के साथ एंटीको आंगुलंट्स नामक एन्ज़ाइम्स छोड़ती है जिससे उस जगह पर बाल उगना स्टार्ट हो जाता है और बाल उस जगह पर आ जातें हैं। इसलिए नए बाल उगाने के लिए इस थेरेपी को इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपको भी बाल झड़ने की समस्या हो रही है तो एक बार लीच थेरेपी जरूर लें।


- DVT (deep vein thrombosis )- DVT के उपचार लिए भी लीच थेरेपी दी जाती है।
- diabetic foot - इसके लिए भी लीच थेरेपी बहुत असरकारक होती है।
- ब्लड डेटॉक्स - ब्लड को detox करने के लिए लीच थेरेपी दी जाती है।
- कैंसर - मुँह के कैंसर में भी लीच को उस जगह पर लगाकर ब्लड फ्लो सही करके उस जगह को सही किया जाता है।