एकांगवीर रस - विकृत वात दोषों का शमन कर वातवाहनियों का क्षोभ काम करके मज्जावह वाली जगह के लिए उत्तम बल प्रदान करता है। पक्षाघात hemiplegia) से उत्पन्न शरीर की विकृति दूर करने में मदद करता है।
उपयोग - पक्षाघात (hemiplegia),धनुर्वात ,अर्धागवात ,गृधसी ,अर्दित (facial paralysis) आदि तीव्र वाट विकारों में उपयोग होता है। रसकल्प
मात्रा और अनुपात - 1-2 टेबलेट दिन में 3 बार दशमूलारिष्ट ,कोष्ण जल या गाय के घी के साथ या व्याधि के अनुसार।
- एकांगवीर रस वात से होने वाले रोगों में उसे किया जाता है।