मल के साथ ब्लड - यह सबसे सामान्य लक्षण है, जिसमे मल के साथ रक्त भी आता है।
जलन -बवासीर के क्षेत्र में दर्द और खुजली की समस्या हो सकती है।

अत्यधिक सूजन - मल त्यागने वाली जगह(anus) में सूजन होती है, जिससे विशेषकर बैठने और उठने में परेशानी होती है।
मल त्याग करने में कठिनाई -पाइल्स के कारण मलत्याग करते समय कठिनाई होती है। जिससे दर्द और असहज स्तिथि होती है।
यदि आपको ऐसे लक्षण होते हैं, तो सर्वश्रेष्ठ होगा कि आप एक चिकित्सक से परामर्श लें, ताकि सही उपचार और सलाह प्राप्त कर सकें।
पाइल्स मुख्य रुप से दो प्रकार का होता है :
(1)एक्सटर्नल पाइल्स -यह anus (गुदा) के बाहर की तरफ से होता है जिसमें गुदा के बाहर हार्ड स्टूल से cuts लगने के बाद बाहर की तरफ से anus में मस्से हो जातें हैं।
(2) इंटरनल पाइल्स-जबकि इसमें anus (गुदा) के अंदर cuts लगने से वहां पर कई मस्से हो जाते हैं जो स्टूल पास करते वक़्त बहुत दर्द करते हैं। और स्टूल निकल नहीं हो पाता। इन बाहरी और अंदर होने वाले मस्सों को ऑपरेशन से हटाया जाता है। ये मस्से पंचकर्म से ठीक हो जाते हैं।
पाइल्स इन कारणों से हो सकता है :
पाइल्स इन कारणों से हो सकता है :
- गौ, मछली ,सुवर ,भैंस ,बकरी ,भेड़ का मांस सेवन
- व्यायाम नहीं करना।
- गलत आसन में बैठने से, उत्कट बैठना।
- ऊंट सवारी।
- मालपुआ ,दही ,तिल ,गुड़ के बने आहार सेवन।
- उड़द, इक्षु (sugarcane) ,आलू ,सिंघाड़ा के सेवन से।
- अधिक स्नेह पान (drinking oil)व उचित संशोधन नहीं होना।
- बस्ती नेत्र का विधिपूर्वक न होने से।
- नपा तुला कम भोजन करने से।
- पेट भरकर भोजन न करना।
- पेट में कब्ज होने पर स्टूल पास करने में अधिक बल लगाना।
- शुरुआती समय में ही कब्ज का इलाज न करना।
- घर के खाने को छोड़कर बाहर का फ़ास्ट फ़ूड खाना।
- दिनचर्या का अव्यवस्थित होना।
पाइल्स के उपचार :
- उपचारो की बात करें तो बहुत ही महत्वपूर्ण(important) ध्यान देने वाली बात ये कि जब भी आप फ्रेश होने जाएँ और स्टूल (stool) पास करते हों तो उस समय आप कभी भी जोर न लगाए बिना जोर के जितना आप स्टूल(stool)पास कर पा रहें हो उतना ही करें बहुत ज्यादा जोर कभी नहीं लगाएं। अगर आप जोर नहीं भी लगाते हों ,तो भी जितना स्टूल(stool)पास होना होगा हो जायेगा। फिर जब आपको लगे कि आपको pressure feel हो तभी दुबारा आप वाशरूम में जाएँ।जो आप जोर लगातें हैं वह शरीर के लिए unwanted जोर है उससे anal tissues (गुदा तंतु) लटक जाते हैं ,उसे जोर को न लगाएं।
- अगर इसके सबसे जल्दी असर करने वाले उपचार की बात करें तो वह आयुर्वेद में पंचकर्म में उपलब्ध है। जिसमे बस्ति द्वारा उपचार किया जाता है जिसमें स्टूल पास करने वाले मार्ग से आयल को भेजा जाता है। जिससे बस्ती करने के बाद ही स्टूल बिना दर्द के पास हो जाता है।
बस्ति पंचकर्म कैसे काम करता है?
पाइल्स में सबसे असरकारक इलाज बस्ती है जिसके लिए आपको किसी भी आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सक को कंसल्ट करना चाहिए।
पाइल्स बवासीर के लिए सबसे पहले आयल (oil)की बस्ति(oil anemata) की जाती है ,उसके बाद पानी की बस्ती(decoction anemata) दी जाती है। यह पूरी तरह असरकारक है।
बस्ती द्वारा सबसे पहले anus (गुदा) में आयुर्वेदिक जात्यादि तेल है को anus(गुद) व rectum में हुए घावों को 7 दिन तक देकर ठीक किया जाता है। इसके बाद पानी वाली बस्ती दी जाती है जिसमें शुद्ध(pure) पानी को इस्तेमाल किया जाता है और उस पानी में आयुर्वेदिक कवाथ(दवाई)को उसमें डालकर 7 दिन तक बड़ी आंत की सफाई की जाती है उससे पेट खुल जाता है और वह दवाई बड़ी आंत absorb(अवशोषित) कर लेती है जिससे पेट की कब्ज और साथ ही दूसरी सारी पेट की समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
इस रोग में आयुर्वेदानुसार पांचो पित्त ,पांचो वायु पांचो प्रकार के कफ की दुष्टि होती है। आधुनिक चिकित्सा(morden treatment)शास्त्र में इसे पाइल्स या हेमोर्रोइड्स कहा जाता है। जिसमे यकृत(liver) दोष विबंध के कारण गुदमार्ग (anus)की रक्तवाहनियाँ(blood vessels) फूल जाती हैं एवं कभी- कभी ये अधिक फूल जाने से फट जातीं हैं जिससे रक्तस्राव (bleeding) होती है। यकृत (liver)की दुष्टि से गुदवलिओं (anal column)की भित्ति(mural) जो मांस तंतुओ से निर्मित होती है बहुत कमजोर हो जाती है। इस स्थिति में गुदवलियां रक्त(blood) एवं मेद(fattening)से चारो तरफ से भर जातीं हैं। और ज्यादा खून(blood) भर जाने से वे फूल जातीं हैं और anus के मांस तंतु(mussle tissue) कठिन हो जातें हैं और पीड़ा देते हैं।